दिल्ली में कैसे चल रहे हैं 'दुकान जैसे स्कूल', हाईकोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को राजधानी में स्कूलों की स्थिति को लेकर केंद्र सरकार से सवाल किएमुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की पीठ ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय से पूछा कि ये स्कूल राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान के तहत कैसे चल रहे हैं जबकि ये दुकानों की तरह दिखते हैं। उत्तर दिल्ली में एमएस एजुकेशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट द्वारा संचालित स्कूलों के फोटोग्राफ देखने के बाद कोर्ट ने कहा कि क्या ये स्कूल हैं? इन स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक की पढ़ाई हो रही है? क्या इन स्कूलों में खेल के मैदान की जरूरत नहीं है? केंद्र सरकार क्या कर रही है? आप ऐसे स्कूलों को संचालन की अनुमति कैसे देते हैं? कोर्ट ने आगे कहा कि क्या इन स्कूलों में नामंकन करने वाले छात्रों को बिना किसी पढ़ाई केही सर्टिफिकेट मिल जाएगा। पीठ ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को मामले में हलफनामा दायर करने के निर्देश दिए है। हलफनामें में बताया जाएगा कि किस आधार पर दिल्ली में ऐसे स्कूलों को चलाने की अनुमति दी गई है। मामले में अगली सुनवाई 29 नंवबर 2019 को होगी। आपको बता दें कि कोर्ट के सामने यह फैसला दो याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सुनाया। इस मामले में एक्टिविस्ट मोहम्मद कामरान ने जनहित याचिका दायर की थी। इसमें इस तरह के स्कूलों पर कार्रवाई की मांग की गई है। दूसरी याचिका ट्रस्ट द्वारा लगाई गई है, जिसमें दिल्ली सरकार द्वारा जारी आदेश को चुनौती दी गई है। दिल्ली सरकार ने कुछ संस्थानों को बंद करने के निर्देश जारी किए थे। जहां एक तरफ दिल्ली हाईकोर्ट को दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा संचालित स्कूलों पर सवाल उठाने पड़ रहे है। वहीं दूसरी ओर दिल्ली सरकार द्वारा संचालित स्कूलों को हर तरफसे सरहाना मिलती रहीं हैं। दिल्ली में विधानसभा चनाव करीब आ रहें हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी इस मुद्दे को भुनाने की पूरी कोशिश करेगी।