कोरोना के डर से हनुमत लला के दर्शन को घटे श्रद्धालुः नरेन्द्र गिरी

प्रयागराज। पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त- सलीला स्वरूप में प्रवाहित त्रिवेणी तट कोरोना वायरस से जहां भी विरान से नजर आ रहे हैं वहीं बंधवा स्थित हनुमत लला के दर्शन को पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या ही आधी रह गयी है। लेटे हनुमान मंदिर के मंहत और साधु संतो की जानी मानी संस्था अखिल भारतीय अखाडा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरी ने गुरूवार को बताया कि मंदिर में आने वालु श्रद्धालुओं में हनुमत लला के दर्शन करने आने वाले भक्तों में 50 फीसदी कमी दर्ज की गयी है। मंदिर सुबह से शाम तक श्रद्धालुओं की कोरोना के बड़ी भीड़ रहती है। मंगल और शनिवार को सुबह से शाम तक पांच हजार से अधिक श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं लेकिन कोरोना वायरस के भय से दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या घट कर आधी रह गयी है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस दैवीय आपदा है। बचाव के लिए सरकार के दिशा निर्देश को हर व्यक्ति को पालन करना चाहिए। दवा से अधिक लोगों को बचाव के तरीकों को ईमानदारी से पालन करें। कोरोना वायरस का सीधा असर यहां के पर्यटन पर भी दिखलायी पड़ रहा है। उन्होने बताया कि कोरोना से बचाव के लिए यह बेहतर है कि लोग डर से हनुमत एक स्थान पर अधिकाधिक एकत्रित नहीं हों। प्रयागराज में हनुमत लला की प्रतिमा वाला यह एकमात्र प्राचीन मंदिर है। जिसमें हनुमान जी लेटी हुई मुद्रा में हैं। यहां पर दक्षिणाभिमुखी स्थापित संकट मोचन की प्रतिमा 20 फीट लम्बी है। संगम किनारे बना यह अनूठा मन्दिर है, जहां लेटे संकट मोचन की लेटी हुई प्रतिमा को पूजा जाता है। ऐसी मान्यता है कि संगम का पूरा पुण्य हनुमान जी के इस दर्शन के बाद ही पूरा होता है। हनुमत लला की इस मूर्ति के बारे में अनेक किंवदंतियां प्रचलित है कहा जाता है कि संगम आने वाले लोगों की यात्रा इस मंदिर में दर्शन के बिना अधूरी है। यह एक मात्र मंदिर है जिसका विवरण पुराणों में विषद रूप से प्राप्त होता है। पुराणों के अनुसार उस वक्त गंगा हनुमान जी को स्नान कराने आती हैं। मंदिर में आए भक्तों की हर एक मनोकामना पूरी करते हैं हनुमान जी। लेटे हुए हनुमान जी को बड़े हनुमान के नाम से भी जाना जाता है। दिनभर श्रद्धालुओं और पर्यटकों से गुलजार रहने वाला त्रिवेणी तट भी आजकल विरान से नजर आ रहा है। संगम किनारे दारागंज निवासी पंडा मोहित मिश्रा ने बताया कि कोरोना ने रोजी रोटी के लिए मोहताज कर दिया। उन्होने बताया कि यहां आम दिनों में 10 से 15 हजार लोग आते हैं जिनमें स्नानार्थी, पर्यटक और श्रद्धालु होते हैं। लेकिन इस महामारी के डर से लोगों का आना आधे से भी कम हो गया है। कई बार तो घाट बिल्कुल वीरान सा नजर आने लगा है। यहां महाराष्ट्र, गुजरात, दक्षिण भारत, मध्य प्रदेश के पर्यटकों की संख्या अधिक रहती है। सूबे के विभिन्न जिलो से भी श्रद्धज्ञलु यहां पहुंचते है। उन्होंने बताया कि घाट पर किसी एक व्यक्ति का रोजगार नहीं चलता। यहां फूल-माला, प्लास्टिक के डिब्बे, नाव आदि अनेक छोटे-छोटे व्यवसायफलते फूलते हैं लेकिन कोरोना वायरस ने सब चौपट कर घटे श्रद्धालुः दिया। दिन भर में 50 रूपया भी कमाना मुश्किल हो गया है। नाव चालक दीपक, रोशन और चंदन मांझी का कहना है कि कोरोना से पहले घाट पर पर्यटकों की भीड रहती थी। दिन भर में अच्छी आय हो जाती थी लेकिन अब तो घंधा ही चौपट हो गया। जल पुलिस प्रभारी कड़ेदीन यादव ने बताया कि कोरोना वायरस के कारण चहल पहल रहने वाला त्रिवणी घाट सूना पडा रहता है। भीड़-भाड रहने से जहां घाट पर दिन रौनक बनी रहती थी, अब गिने चुने लोग आते तो हैं लेकिन एक दूसरे से दूरी बनाते हुए कुद देर भ्रमण करते हैं और वानस लौट जाते हैं।